ट्राइग्लिसराइड्स क्या हैं?
ट्राइग्लिसराइड्स वसा (फैट) का एक प्रकार है जो शरीर में लिवर या फैट सेल्स में जमा होता है। जब हम ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी लेते हैं, तो वह अतिरिक्त कैलोरी ट्राइग्लिसराइड्स में बदलकर शरीर में जमा हो जाती है।
कब माना जाता है कि किसी व्यक्ति को हाई ट्राइग्लिसराइड्स हैं?
जब किसी व्यक्ति का फास्टिंग ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर 200mg/dl से ज़्यादा होता है, तो उसे हाई ट्राइग्लिसराइड्स माना जाता है।
ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने के आम कारण क्या हैं?
- डायबिटीज़
- ओवरवेट और मोटापा
- ज़्यादा शराब का सेवन
- धूम्रपान
- थायरॉयड की समस्या
- किडनी और लिवर फेलियर
- कुछ दवाओं जैसे स्टेरॉइड्स का नियमित सेवन
- बैठा-बैठा जीवनशैली (सेडेण्टरी लाइफस्टाइल)
- सैचुरेटेड फैट्स का ज़्यादा सेवन
हाई ट्राइग्लिसराइड्स होने के क्या जोखिम हैं?
- पैनक्रियाटाइटिस (जब TG 500mg/dl से अधिक हो जाए तो)
- हार्ट वेसल ब्लॉकेज और हार्ट अटैक का खतरा
- फैटी लिवर डिज़ीज़ की संभावना
ट्राइग्लिसराइड्स कम करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
लाइफस्टाइल में बदलाव, डाइट में सुधार और दवाएं – ये तीनों ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के मुख्य उपाय हैं।
बिना दवाओं के ट्राइग्लिसराइड्स कम करने के तरीके क्या हैं?
- डाइट
- a) कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करना:
कुल कैलोरी में से कार्बोहाइड्रेट से आने वाली कैलोरी को 50% से कम करें। किस प्रकार का कार्बोहाइड्रेट लिया जा रहा है, यह ज़्यादा मायने रखता है। रिफाइन्ड कार्ब्स और सिंपल शुगर का सेवन जितना हो सके कम करें।
टेबल शुगर, शहद, चॉकलेट्स, फ्रूट जैम, केक, कैंडी, आइसक्रीम, सोडा, सफेद चावल और मैदा जैसे रिफाइन्ड कार्ब्स से बचें।
इनकी जगह कॉम्प्लेक्स कार्ब्स जैसे स्टार्च वाली सब्जियां, होल ग्रेन्स और फल लें।
कॉम्प्लेक्स कार्ब्स में फाइबर अधिक होता है जिससे पाचन धीरे-धीरे होता है और ब्लड में धीरे-से शुगर मिलती है। इससे पेट भरा हुआ महसूस होता है और कैलोरी की मात्रा अपने आप घट जाती है। हाई ग्लायसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स ब्लड शुगर और ट्राइग्लिसराइड्स दोनों बढ़ाते हैं।
- b) फैट का सेवन:
कार्बोहाइड्रेट की जगह फैट लें, वो भी MUFA और PUFA ज़्यादा। समुद्री स्रोतों से मिलने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड ट्राइग्लिसराइड्स कम करने में बहुत सहायक है। सैचुरेटेड फैट को कम करें और MUFA, ओमेगा 3 और 6 PUFA बढ़ाएं। - वज़न कम करना:
कैलोरी कम लेकर वज़न कम करना बहुत ज़रूरी है। हर 1 किलो वज़न कम होने पर TG स्तर में औसतन 8mg/dl की कमी आती है। - शराब से परहेज़:
जो लोग ज़्यादा शराब पीते हैं, अगर वे शराब बंद कर दें तो ट्राइग्लिसराइड्स 80% तक घट सकते हैं। इसका सबसे अच्छा असर तब दिखता है जब TG 500mg/dl से ज़्यादा हो। - फिजिकल एक्टिविटी:
हर दिन 30 मिनट पैदल चलने जैसी नियमित गतिविधि वज़न घटाने में मदद करती है और ट्राइग्लिसराइड्स को 20% तक घटा सकती है।
सारांश:
जिन लोगों के ट्राइग्लिसराइड्स हाई हैं, उन्हें कम कैलोरी लेनी चाहिए और रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स तथा सिंपल शुगर का सेवन कम करना चाहिए। फिजिकल एक्टिविटी से वज़न कम करें और शराब न पिएं। नट्स, फ्लैक्स सीड्स, चिया सीड्स, ऑलिव ऑयल, हरी पत्तेदार सब्जियां और समुद्री मछली का सेवन करें। जब TG हल्का बढ़ा हो तो यह सबसे असरदार तरीका है। अगर TG 500mg/dl से ज़्यादा हो, तो दवाओं के साथ लाइफस्टाइल में बदलाव ज़रूरी है ताकि हार्ट अटैक और पैनक्रियाटाइटिस से बचा जा सके।
