अचानक हृदय गति रुकना (Sudden Cardiac Arrest) एक ऐसी स्थिति है जिसमें चिकित्सा तकनीक में उन्नति के बावजूद वर्षों से मृत्यु दर में विशेष कमी नहीं आई है। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे सामान्य कारण अचानक हृदय की धड़कन का असामान्य हो जाना है। इससे दिल से पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह रुक या कम हो जाता है।
स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधियां:
नियमित शारीरिक गतिविधि के हृदय रोग और कई अन्य बीमारियों के खिलाफ लाभ बहुत स्पष्ट रूप से सिद्ध हैं। वैज्ञानिक प्रमाणों से यह साबित हो चुका है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उनमें जल्दी मृत्यु का जोखिम 20-30% तक कम होता है। उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और हड्डियों की कमजोरी जैसी बीमारियों से भी सुरक्षा मिलती है। नियमित व्यायाम से वजन भी कम करने में मदद मिलती है।
धीरे-धीरे और नियमित रूप से किया गया मध्यम स्तर का व्यायाम हृदयघात का खतरा कम करता है। लेकिन अत्यधिक परिश्रम वाला व्यायाम (strenuous physical activity) कुछ कारणों से हार्ट अटैक और अचानक मृत्यु का खतरा बढ़ा सकता है।
30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में आम कारण:
- जन्म से ही मौजूद छुपे हुए हृदय रोग
- हृदय के वॉल्व की समस्याएं
- हृदय की मांसपेशियों की बीमारियां
- हृदय की विद्युत प्रणाली की गड़बड़ी
- प्रमुख रक्त वाहिनियों का पतला होना और अचानक फटना
30-40 वर्ष से अधिक आयु वालों में आम कारण:
- हृदय की रक्त वाहिनियों में पहले से मौजूद ब्लॉकेज का फटना और पूरी तरह ब्लॉक हो जाना – यह सबसे सामान्य कारण है।
- हृदय की धड़कन और रक्तचाप में अत्यधिक वृद्धि के कारण तनाव उत्पन्न होना और ब्लड क्लॉट बनना
- फेफड़ों की रक्त वाहिनियों में क्लॉट बनना
- पहले हुए हार्ट अटैक की वजह से हृदय में स्कार बन जाना
कठोर (vigorous) शारीरिक गतिविधि क्या होती है?
ऐसी गतिविधि जिसमें आप कुछ शब्द भी बोले बिना सांस फूलने लगती है। उदाहरण: रस्सी कूदना, दौड़ना, एरोबिक डांस, 10 मील/घंटा से तेज साइकिल चलाना, पहाड़ी चढ़ाई करना, भारी बैग के साथ तेज चलना आदि।
ऐसी कठोर गतिविधियों में क्या होता है?
कठोर शारीरिक गतिविधि 10% से अधिक हृदयघात के मामलों में प्रमुख कारण होती है। इन गतिविधियों से शरीर में एड्रेनालिन और नॉरएड्रेनालिन रिलीज होते हैं, जिससे दिल की धड़कन, रक्तचाप और रक्त में फैटी एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। दिल की मांसपेशी की बीमारी वाले लोगों में ऐसी गतिविधियाँ मांसपेशियों में रक्त की कमी (ischemia) उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे कोशिकाओं की मृत्यु और स्कार बनता है। यही स्कार अचानक मृत्यु का कारण बन सकता है।
व्यायाम करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- स्वस्थ व्यक्ति को हल्के व्यायाम से शुरू करना चाहिए और धीरे-धीरे मध्यम व फिर कठोर व्यायाम की ओर बढ़ना चाहिए – वो भी प्रशिक्षक की देखरेख में।
- जिन्हें हृदय से संबंधित समस्या है उन्हें व्यायाम शुरू करने से पहले कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए और धीरे-धीरे, निगरानी में व्यायाम करना चाहिए।
- बहुत गर्म या ठंडे मौसम में कठोर व्यायाम करना हृदयघात का खतरा बढ़ाता है – ऐसे समय पर बचना बेहतर है।
प्रशिक्षण केंद्र में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
- ट्रेनर को बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) की जानकारी होनी चाहिए।
- केंद्र में ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED)की सुविधा होनी चाहिए।
- नज़दीकी अस्पताल तक पहुँचने की सुविधा होनी चाहिए।
हृदय की सुरक्षा के लिए कितना व्यायाम पर्याप्त है?
गाइडलाइन्स के अनुसार – सप्ताह में कम से कम 5 दिन, रोज़ाना 30 मिनट का मध्यम व्यायाम या 15 मिनट का कठोर व्यायाम ही पर्याप्त है। इससे अधिक लंबे समय तक का कठिन व्यायाम किसी भी अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स में अनुशंसित नहीं है और इससे कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होता।
व्यायाम से जुड़ी अचानक मृत्यु को कैसे रोका जाए?
भले ही हम इसे पूरी तरह से रोक नहीं सकते, लेकिन कुछ कदम उठाकर इसका जोखिम कम कर सकते हैं:
- अधिकांश युवाओं में अचानक हृदय मृत्यु का कारण पहले से मौजूद हृदय रोग होता है, जिसे जांच से पहचाना जा सकता है।
- कठोर व्यायाम शुरू करने से पहले कुछ जांच करवाना फायदेमंद रहेगा:
जांच में शामिल होना चाहिए:
- जन्मजात हृदय दोषों की स्क्रीनिंग
- ECG और आवश्यकता होने पर होल्टर मॉनिटर द्वारा हृदय की विद्युत प्रणाली की जांच
कार्डियक मूल्यांकन कितनी बार करवाना चाहिए?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, पहली बार एथलेटिक गतिविधियों में भाग लेने से पहले डॉक्टर से मूल्यांकन और फिर हर 2-4 साल में एक बार या डॉक्टर की सलाह के अनुसार दोबारा जांच करवानी चाहिए।
इटली में, पिछले 40 वर्षों से हर खिलाड़ी को अनिवार्य रूप से डॉक्टर द्वारा स्क्रीनिंग करानी होती है, जिससे उनकी मृत्यु दर में काफी कमी आई है।
यह भी सिफारिश की जाती है कि मधुमेह के रोगी और 45 वर्ष से ऊपर के लोग, जो कठोर व्यायाम करना चाहते हैं, उन्हें पहले हृदय रोग विशेषज्ञ से मूल्यांकन करवाना चाहिए।
कब कार्डियोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए?
सावधानी और जांच के बावजूद यदि कोई हृदय से संबंधित घटना घटती है, तो आपको यह जानना जरूरी है कि कब डॉक्टर के पास जाना है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण हो तो तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें:
- छाती में दर्द, भारीपन या असहजता
- असामान्य थकान या कमजोरी
- चक्कर आना या बेहोशी के दौरे
- तेज धड़कन (palpitations)
- अत्यधिक सांस फूलना
- गंभीर सिरदर्द
डॉक्टर आपकी पूर्व–स्थित बीमारियों, ECG, ECHO, पारिवारिक इतिहास और जीवनशैली जैसे धूम्रपान आदि को ध्यान में रखते हुए जोखिम प्रोफाइल का मूल्यांकन करेंगे। इसलिए डॉक्टर को ईमानदारी से पूरी जानकारी देना बहुत जरूरी है।
यह मूल्यांकन जोखिम को कम करने में मदद करेगा लेकिन अचानक हृदय घटना को पूरी तरह टालने की गारंटी नहीं देता।
